प्राथर्ना एवं पुरुषार्थ को जीवन में अपनाएं- कृष्ण महाराज

मोगा, 30 अक्तूबर(दीपक)-  परम पूज्य भकत हंसराज जी महाराज गोहाना वालों के सुपत्र परम पूज्य कृष्ण जी महाराज एवं रेखा मां के पावन सानिध्य में श्री राम शरणम आश्रम प्रताप रोड में विशेष अमृतवाणी संकीर्तन एवं भजन कीर्तन का आयोजन श्रद्धा भाव से आयोजित किया गया। पंजाब भर से पहुंचे साधकों ने अपने परम गुरु की पावन अगवाई में भजन कीर्तन में भाग लेकर आशीर्वाद प्राप्त किया। भारी संख्या में पहुंचे साधक गुरु की एक झलक पाने को लालयित देखें एवं चेहरे खुशी में नजर आए। रेखा मा ने अपनी मधुर आवाज से अमृतवाणी  के संकीर्तन में दोहो एवं चौपाइयों के मधुर गुणगान के द्वारा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। अमृतवाणी संकीर्तन के उपरांत रेखा मां ने अपनी मधुर आवाज के द्वारा सभी मिल मंगल गाओ रे अवध में राम आए हैं भजन के द्वारा भगवान श्री राम की महिमा का गुणगान करते हुए साधको को मंत्रमुग्ध किया। साधको को संबोधित करते हुए कृष्ण जी महाराज ने कहा कि हमारे पिछले जन्म के पूण्य भाग्य है जो हमें इस युग में सच्चे संत की प्राप्ति हुई है। उन्होंने कहा कि सच्चा संत वही है जो अपने साधक को परमारथ के रास्ते पर चलाते हुए भवसागर से पार उतारता है। उन्होंने कहा कि आज के युग में सच्चे संत का मिलना मुश्किल है। परम पूज्य स्वामी सत्यानंद महाराज ने डलहौजी की पावन धरती पर श्री राम के उच्चारण के साथ उसका प्रचार एवं प्रसार करते हुए अपना पूरा जीवन बिताया। उन्होंने बताया कि परम पूज्य भगत हंसराज जी महाराज ने उनकी शिक्षाओं को आदर्श मानते हुए लाखों की संख्या में अपने साधकों को श्री राम के प्रचार एवं प्रसार के साथ जोड़ा। उन्होंने कहा कि राम नाम के अनमोल रतन को हमें अपने जीवन में ज्योति की तरह जगाते हुए इसका उजाला हर तरफ करना चाहिए। सच्चे सन्त की शरण में बैठ मिले विश्राम मन माँगा फल तब मिले जपे राम का नाम के दोहे के उच्चारण के साथ उन्होंने सच्चे संत की महिमा का बखान किया। उन्होंने बताया कि गुरु पर रखे विशवास के साथ मनुष्य को जीवन में सेवा एवं सिमरन को सर्वोपरि मानना चाहिए। जिसके साथ जीवन में परिवर्तन आता है। सिमरन के साथ जीवन में परिवर्तन न आने वाले मनुष्य का सिमरन रटन के समान है। इसके साथ ही प्राथर्ना एवं पुरुषार्थ का जीवन में आना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जीवन में मिलने वाली सुख सुविधाओं का आंनद पुरुषार्थ के साथ आता है लेकिन इन सब चीजों का सुख केवल गुरु के चरणों में की गई प्राथर्ना के साथ मिलता है। उन्होंने बताया कि सुख दुख जीवन के दो पहलु हैं। मनुष्य को दुख से निकलने पर ही सुख की पहचान मिलती है। मनुष्य को जीवन में बाँधी गई वैर विरोध की गांठो को खोलना जरूरी है। बड़ा बनने के लिए जीवन में कुर्बानी देनी पड़ती है। सेवा का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सेवा पूजा, अर्चना, सिमरन के साथ प्राश्चित का मार्ग है। लेकिन सेवा को निष्काम भाव से अहम का त्याग करते हुए करना चाहिए। सेवा को परमात्मा के चरणों में समर्पित करना चाहिए। सिमरन में द्वारा जीवन में बदलाव नहीं आया तो सिमरन में कोई कमई रह जाती है। अपने गुरु पर बिश्वास रखने वाला जीवन में कभी डोलता नहीं। उन्होंने सभी साधको को 10 दिसंबर से गोहाना की धरती पर शुरू होने वाले 90 दिवसीय महा अखण्ड समागम में भाग लेने का आह्वान करते हुए साधको को आशीर्वाद प्रदान किया। अंत में इच्छुक साधको को नाम दीक्षा प्रदान की गई। इस अवसर पर मोगा से सत्संग संचालक प्रदीप बजाज, लुधियाना से श्री राम शरणम प्रमुख नरेश सोनी, जालंधर से डा नरेश बत्रा, अरुण बजाज फरीदकोट, सुरिंद्र कटारिया कोटकपूरा, कपिल जीरा, कर्म चंद धर्मकोट एवं राजू बांसल बाघापुराना के अलावा पंजाब भर से भारी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।