पंजाब में एससी-एसटी उद्यमियों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हुआ नेशनल एससी-एसटी हब मेगा कॉन्क्लेव का सफल आयोजन
मोगा, 18 अक्तूबर ( जशन,सटरिंगर दूरदर्शन ): सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), भारत सरकार ने उद्यमिता संस्कृति को बढ़ावा देने और नेशनल एससी-एसटी हब (एनएसएसएच) योजना के साथ मंत्रालय की अन्य योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आज दिनांक 18-10-2024 को आईएसएफ कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी, मोगा, पंजाब के सभागार में नेशनल एससी-एसटी हब (एनएसएसएच) कॉन्क्लेव का आयोजन किया। एमएसएमई मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मर्सी ईपाओ, एनएसआईसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. सुभ्रांशु शेखर आचार्य, विदेश व्यापार की उप महानिदेशक डॉ. मनजीत भटोया, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, पंजाब के अतिरिक्त सीईओ श्री एस.पी. आंगरा , पंजाब सरकार के सहायक आयुक्त ( उद्योग) श्री हितेश वीर गुप्ता, मोगा के जीएम (डीआईसी) श्री एस.एस. रेखी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में लगभग 700 संभावी तथा मौजूदा एससी/एसटी उद्यमियों ने भाग लिया। एनएसआईसी के सीएमडी डॉ. आचार्य ने अपने संबोधन में सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को दिन के एजेंडे के बारे में जानकारी दी और भारत सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति के बारे में बताया, जिसमें एससी/एसटी वर्ग के उद्यमों से 4% और महिला उद्यमों से 3% सार्वजनिक खरीद अनिवार्य की गई है। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए, एमएसएमई मंत्रालय एससी/एसटी उद्यमियों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और सार्वजनिक खरीद नीति के अनुसार 4% अधिदेश तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक खरीद में भाग लेने के लिए एससी/एसटी उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से नेशनल एससी-एसटी हब योजना को लागू कर रहा है। उन्होंने एससी/एसटी उद्यमियों के लिए नेशनल एससी-एसटी हब योजना के तहत कार्यान्वित विभिन्न पहलों का भी उल्लेख किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सुश्री मर्सी एपाओ, संयुक्त सचिव (एमएसएमई) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए कहा कि एमएसएमई न केवल रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करते हैं अपितु ग्रामीण व पिछडे क्षेत्रों का औद्योगीकरण भी करते हैं। इस क्षेत्र में 5.21 करोड़ से अधिक इकाइयां (उद्यम पंजीकृत इकाइयां) हैं जो 22.28 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से उद्यमिता को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने और केवल उपभोक्ता ही नहीं बल्कि निर्माता बनने का आग्रह किया। उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं की क्षमता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि राज्य के उद्यमी नवीन विचारों और व्यावसायिक अवसरों की खोज करेंगे और इन योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएंगे। उन्होंने उद्यमिता के माध्यम से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'यशस्विनी’ नामक हालिया पहल के बारे में भी जानकारी दी।
एमएसएमई के विकास आयुक्त कार्यालय की उप निदेशक सुश्री इशिता थमन ने पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में बताया जो अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले 18 ट्रेडों के कारीगरों और शिल्पकारों को अंत-से-अंत सहायता प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उद्यमी और आत्मनिर्भर बनने में मदद करना है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), उद्यम पंजीकरण आदि से संबंधित जानकारी भी दी गई।श्री आंगरा, अतिरिक्त सीईओ, एसआरएलएम, पंजाब ने पंजाब राज्य में एसआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूहों के लिए विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी। सीपीएसई, बैंकों और ऋण देने वाली संस्थाओं के साथ एक विशेष तकनीकी सत्र का भी आयोजित किया गया, जिसने संभावी और मौजूदा एससी-एसटी उद्यमियों के लिए परस्पर संवादात्मक मंच प्रदान किया। गैस अथॉरिटी, पॉवर ग्रिड , ईएसआईसी आदि सीपीएसई ने अपने विक्रेता सूचीकरण प्रक्रिया पर प्रस्तुतियां दीं और एससी/एसटी उद्यमों से ख़रीदे जा सकने वाले उत्पादों/सेवाओं का विवरण साझा किया। कार्यक्रम में सिडबी, आईएफसीआई वेंचर, एनवीसीएफ़एल और पंजाब ग्रामीण बैंक जैसी वित्तीय संस्थाओं ने भाग लिया, जिन्होंने एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित विभिन्न ऋण योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। अन्य सरकारी निकाय जैसे जीईएम, केवीआईसी, एनएसएफडीसी, एनएसटीएफडीसी, ट्राइफेड ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और एमएसएमई के लिए अपनी योजनाओं पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एमएसई प्रतिभागियों के मौके पर पंजीकरण की सुविधा के लिए पीएम विश्वकर्मा और उद्यम पंजीकरण के सुविधा डेस्क शामिल थे।