आरती किसी भी उपासक को भगवान के प्रति पूरी तरह से समर्पित होने के भाव को दिखाती है : महा मंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती
मोगा, 3 सितंबर (जशन) गीता भवन में जन्माष्टमी महोत्सव के मौके पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास अनंत श्री विभूषित महा मंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी ने कथा के चौथे दिन आरती का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि आरती किसी भी उपासक को भगवान के प्रति पूरी तरह से समर्पित होने के भाव को दिखाती है। स्वामी जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा करते हुए कहा कि आरती का अर्थ है भगवान को याद करना, उनके प्रति आदर का भाव दिखाना, ईश्वर का स्मरण करना और उनका गुणगान करना। आरती को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।किसी भी पूजा का समापन हमेशा आरती से करने का मतलब यही है कि यह इस बात का संकेत है कि अब पूजन समाप्त हो गया है और हम भगवान् से कुशलता की कामना करने वाले हैं। आरती को एक हिंदू अनुष्ठान माना जाता है जो भगवान के प्रति प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। यह शब्द संस्कृत शब्द अरात्रिका से लिया गया है, जो उस प्रकाश को संदर्भित करता है जो जीवन में अज्ञानता के अंधेरे को दूर करता है। स्वामी ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार पूजा समाप्त करने के बाद आरती करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है। आरती व्यक्ति के आत्म बल को बढ़ाने में मदद करती है। परिवार के साथ मिलकर की गई आरती लोगों के बीच सामंजस्य की बढ़ाती है। आरती के दौरान जब शंख और घंटे की ध्वनि होती है तब चारों तरफ का वातावरण स्वच्छ हो जाता है और आस-पास के कीटाणुओं का नाश हो जाता है। आरती किसी भी व्यक्ति के मानसिक तनाव को दूर करती है और वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है। आरती के दौरान जब कपूर और घी जलते हैं तब कीटाणु नष्ट होते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है। आरती व्यक्ति का ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है जिससे मानसिक शांति मिलती है। आरती करने से मन पवित्र और तन स्वस्थ रहता है। इसी वजह से शास्त्रों में पूजा के बाद आरती को महत्वपूर्ण बताया गया है।हरिद्वार से पहुंचे स्वामी चिन्यमानंद जी महाराज, स्वामी अनुज प्रकाश एवं साध्वी अनन्या सरस्वती जी ने भी प्रवचन किए। दोपहर की बेला में श्रीमद भागवत कथा शुरू होने से पहले सुबह हर रोज की तरहगीता भवन के पुजारी पंडित राम जी व गोपाल जी ने पूजन कराया। भागवत कथा के मौके पर सुबह पूजन में गीता भवन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष रविंदर सूद, कनिष्ठ उपाध्यक्ष भरत अग्रवाल, महासचिव सुनील गर्ग एडवोकेट, संयुक्त सचिव सुरिंदर अग्रवाल, कोषाध्यक्ष पवन अग्रवाल, हरिद्वार से पहुंचे कंट्रोलर अंशुल श्री निकुंज, ट्रस्टी योगेश गर्ग, एडवोकेट मनविंदर सग्गू व उनके परिजन शामिल हुए।